जो भी हूँ
तेरा बच्चा हूँ माँ।
तेरा हाथ सुकून की डाली है
पतझड़ में छत
नींद वाली थपकी।
वो तेरा
गाल खींचकर प्यार जताना।
तुम नहीं हो यॅहा
पर आदत से मजबूर हूँ?
काश तुम से लिपटकर
तुम्हारे चले जाने पर रो पाती
थोड़ी इमोशनल हूँ ।
जो भी हूँ
तेरा ही तो बच्चा हूँ, माँ।
No comments:
Post a Comment
Would love to have your comments!